GSTR 1 Filing Guide: New 2025 Changes, Invoice Entries, and Updates Explained for GST Return Filing.

**जीएसटीआर 1 फाइलिंग का परिचय**

जीएसटीआर 1 फाइलिंग, Goods and Services Tax Return 1 की प्रक्रिया है, जो व्यवसायों द्वारा उनकी बिक्री और सेवाओं का विवरण सरकार को प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया भारत में जीएसटी प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें कई बदलाव हाल ही में आए हैं, विशेषकर 2025 में।

**नए परिवर्तनों का प्रभाव**

जनवरी 2025 से जीएसटीआर 1 में एचएसएन कोड की अनिवार्यता बढ़ गई है। पहले, व्यवसाय जो 5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले थे, उन्हें बी टू बी इनवॉइस में चार अंकों का एचएसएन कोड डालने की अनुमति थी। अब, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी फाइलिंग में एचएसएन कोड को अनिवार्य रूप से भरा जाए। बी टू बी और बी टू सी इनवॉइस को अलग-अलग टेबल में भरना होगा।

**फाइलिंग प्रक्रिया**

जीएसटीआर 1 की फाइलिंग के लिए सबसे पहले जीएसटी पोर्टल पर लॉग इन करना होता है। उपयोगकर्ता को अपने रिटर्न डैशबोर्ड में जाना होगा और वहाँ “प्रिपेयर ऑनलाइन” बटन पर क्लिक करना होगा। उपयोगकर्ता को अपनी फाइलिंग की अवधि चुननी होगी – मासिक या त्रैमासिक। मासिक फाइलिंग के लिए हर महीने की 11 तारीख तक फाइलिंग करनी होती है, जबकि त्रैमासिक फाइलिंग 13 तारीख से पहले करनी होती है।

**बी टू बी और बी टू सी इनवॉइस की एंट्री**

बी टू बी इनवॉइस में, यदि आप एक व्यवसाय को सामग्री बेच रहे हैं, तो आपको संबंधित पार्टी का जीएसटी नंबर और इनवॉइस का विवरण भरना होगा। इसके विपरीत, बी टू सी में, जहाँ ग्राहक का जीएसटी नंबर नहीं होता, आपको केवल बिक्री का विवरण देना होता है। उपयोगकर्ता को इनवॉइस की कुल वैल्यू, टैक्सेबल वैल्यू और स्थान का विवरण भी भरना होगा।

**बल्क इनवॉइस अपलोडिंग**

यदि आपके पास 100 या उससे अधिक इनवॉइस हैं, तो आपको उन्हें अपलोड करने के लिए सरकारी वेबसाइट से ऑफलाइन यूटिलिटी डाउनलोड करनी होगी। इस टेम्पलेट में आपको सभी आवश्यक जानकारी भरनी होगी और फिर उसे अपलोड करना होगा।

**एचएसएन वाइज समरी**

एचएसएन वाइज समरी में आपको अपनी बिक्री का विवरण एचएसएन कोड के अनुसार भरना होता है। यहाँ आपको सभी उत्पादों की टैक्सेबल वैल्यू और संबंधित जीएसटी की जानकारी डालनी होती है।

इस प्रकार, जीएसटीआर 1 फाइलिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो व्यवसायों को अपने टैक्स दायित्वों को पूरा करने में मदद करती है। उचित जानकारी और समय पर फाइलिंग सुनिश्चित करने से व्यवसायों को जीएसटी अनुपालन में आसानी होती है।

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